Kya likhun -क्या लिखूँ  

Posted by Divya Prakash

मुझे इससे अच्छा Compliment आज तक नही मिला की "अरे वो आपकी कविता है मैंने इन्टरनेट पे बहुत जगह पढ़ी है "
पिछले साल एक ब्लॉग(नारी का कविता ब्लॉग ) पे ये चर्चा चली कि ये कविता "क्या लिखूं" का असली लेखक कौन है | मैं साधुवाद देता हूँ ऐसी कोशिश को की कम से कम किसी ने ये मुहिम शुरू कि इस कविता के असली लेखक का पता लगाया जाए |
उस दौरान मैं बहुत व्यस्त था इसीलिए मैंने सोचा था कभी तफसील से सबसे इस कविता के बारें मैं बात करूँगा और अपने हिस्से का सच सबके सामने लेके आऊंगा |
ऐसे ही एक दिन मैं ऑरकुट(Orkut) पे मैंने “कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ “ ये search किया तो search result देख के मैं बहत खुश हुआ कि इतने ज्यदा लोगो ने इससे कॉपी कर रखा है अपने About me में डाल रखा है ...फ़िर मैंने यही Google पे Search किया तो देखा वहां भी यही हल है बहुत से लेगो ने इसे अपने ब्लॉग पे लगा रखा है बिना किसी भी लेखक का नाम लिखे हुए |
शुरू में मुझे लगा यार मेरी कविता इतने लोगो ने लगा रखी वो और किसी ने भी नाम नही लिखा मेरा ..लेकिन बाद में लगा की कविता तभी तक अपनी होती है जब आप उसे लिखते हैं फ़िर अगर कविता अच्छी हो तो सबकी हो जाती
मैं हर एक उस शख्स का शुक्रगुजार हूँ जिसने इससे कॉपी किया और इस कविता के ही अपने आप में इस कविता का सच और सफलता है| है |
बहुत दिनों से एक विडियो बनाना चाहता था किसी कविता पे फ़िर मैंने जानबूझ कर ये कविता चुनी ताकि थोड़ा बहुत शक अगर किसी के भी दिमाग में रह गया हो तो वो भी ख़तम हो जाए
यहाँ College(Symbiosis institute of Business management, Pune) में मुलाकात हुई समर्थ से जो की मेरे साथ ही MBA की पढ़ाई कर रहे हैं और थिएटर , एक्टिंग, एडिटिंग का बहुत शौकीन है और बहुत से Play में काम भी कर चुके हैं , और अभी थोड़े दिन ही पहले हम लोगो ने एक Play ,IIM Banglore मैं किया हो की हिन्दी play की category मैं first आया , जिसका निर्देशन समर्थ ने ही किया था| बस फ़िर क्या था हम लोगो ने MaterStroke नाम से २-३ विडियो बनाये और प्ले किए |
मैं वो सारे फोटो साथ मैं संलग्न कर रहा हूँ जिससे ये सिद्ध होता है कि ये कविता मैंने ही लिखी है और सबसे पहले में ही पोस्ट कि थी "हिन्दी कविता " नामक Google group में
ये कविता जीवन के बहुत सरे द्वंदों के बारे में है ,वो द्वंद जो जिंदगी को जिंदगी बनाती हैं | कहते हैं आप कविता नही लिखते कविता आपको लिखती है,जब उसको आना होता है तो वो ये नही देखती की आपके पास विषय है या नही ,वो तो बस आ जाती है | पता नही इस कविता ने मुझे और मैंने इस कविता को कितना लिखा है |मेरे लिए फर्क करना मुश्किल

क्या लिखूँ
कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ
या दिल का सारा प्यार लिखूँ
कुछ अपनो के जज़्बात लिखू या सपनो की सौगात लिखूँ
कुछ समझूँ या मैं समझाऊं या सुन के चलता ही जाऊँ
पतझड़ सावन बरसात लिखूं या ओस की बूँद की बात लिखूँ
मै खिलता सुरज आज लिखू या चेहरा चाँद गुलाब लिखूँ
वो डूबते सुरज को देखूँ या उगते फूल की साँस लिखूँ
वो पल मे बीते साल लिखू या सादियो लम्बी रात लिखूँ
मै तुमको अपने पास लिखू या दूरी का ऐहसास लिखूँ
मै अन्धे के दिन मै झाँकू या आँन्खो की मै रात लिखूँ
मीरा की पायल को सुन लुँ या गौतम की मुस्कान लिखूँ
बचपन मे बच्चौ से खेलूँ या जीवन की ढलती शाम लिखूँ
सागर सा गहरा हो जाॐ या अम्बर का विस्तार लिखूँ
वो पहली -पाहली प्यास लिखूँ या निश्छल पहला प्यार लिखूँ
सावन कि बारिश मेँ भीगूँ या आन्खो की बरसात लिखूँ
गीता का अॅजुन हो जाॐ या लकां रावन राम लिखूँ
मै हिन्दू मुस्लिम हो जाॐ या बेबस ईन्सान लिखूँ
मै एक ही मजहब को जी लुँ या मजहब की आन्खे चार लिखूँ
कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ
या दिल का सारा प्यार लिखूँ

सादर

दिव्य प्रकाश दुबे
Kya likhun at Nav Bharat Times
© Copyright Rests With Creator. Divya Prakash Dubey
Divya Prakash on orkut

Spirit of SIBM  

Posted by Divya Prakash

This song is dedicated to all who ever been part of Symbiosis institute of business Management,Pune
"the passion to live it up and the spirit to wear it on our sleeve"
Video of Spirit of SIBM by Jazba

आंगन में पंछी आए ख्वाब सजाने को
आँखों में सपने लाये ,कुछ कर दिखाने को
कुछ सपने पीछे छूटे पलकों पे आंसू बनके
कुछ अपने पीछे छूटे पलकों पे आंसू बनके
कुछ ख्वाब झांकते हैं आँखों में मोती बनके
कुछ वादे अपनों के हैं ,कुछ वादे अपने से
कल दुनिया महकेगी फूल जो आज खिलने को हैं ....2
खिलने दो रंगों को फूलों को अपने संग
महकेगी दुनिया सारी ,बहकेगी अपने संग
ख्वाबों के परवाजो से आसमान झुकाने को है........2
आंगन में पंछी आए ख्वाब सजाने को
आँखों में सपने लाये ,कुछ कर दिखाने को
क़दमों की आहट अपनी दुनिया हिला देगी
यारों की यारी अपनी हर मुश्किल भुला देगी
दिव्य प्रकाश दुबे
Divya Prakash Dubey
SIBM Batch of 2007-09
dpd111@gmail.com© Copyright Rests With Creator. Divya Prakash Dubey

Hind Yugm का नया सफर  

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जला दो जला दो  

Posted by Divya Prakash in , , ,

This song is dedicated to all the people who are pursuing MBA or planning or completed MBA .

I 'm sure you 'll be able to relate your days with this song ,presented by students of SIBM ,Pune .

AAj achanak fir se vo (आज अचानक फ़िर से वो )  

Posted by Divya Prakash



हम सभी कभी न कभी डायरी लिखते हैं या कोशिश करते हैं कुछ यादों को ,कुछ पन्नों में समेटने की ये कविता उसी कोशिश का एक हिस्सा भर है !!


 

Posted by Divya Prakash


क्या सोच रहा था पता नही ,जब शाम के हाथों रात हुई ,
कागज़ पे यूं ही अनजाने तरी मूरत साकार हुई !!