चुनाव के मौसम मै
This poem was written in last election of UP when few IIT pass outs took initiative and left thier lucrative careers and joined politics .I also joined the motion enjoyed the time i spent with those New genration Real "Rang De Basantii" Heros .This poem is dedicated to Omedra Bhai (From IIT Kanpur) and every member of "Bharat Punarnirman dal"(http://www.bharatpunarnirman.org/)
Jai Hind Jai Bharat
आओ हम तुम साथ चले और नय़ा सवेरा ले आये
आन्धियरी उम्मीद के जग मे सत्य पताका फहराये
भषटाचार गरीबी ने है सारे सपने तोङ दिए ...
ये सारे सपने खिल जाये कुछ ऍसा भारत ले आये
आम आदमी डुब गया है दुनिआ भर के वादो मै..
आम आदमी "ख़ास" बने कुछ ऍसा वादा ले आये
आओ हम तुम साथ चले और नय़ा सवेरा ले आये
बडए(bade-bade) बदे है लोग यहा और बडई बडाई(badi-badi) सरकारे है
परिवर्तन की बाते है और वही पुराने नारे है
सब ग़ीत नया मिल के गाये कुछ ऐसा सावन ले आये..
आओ हम तुम साथ चले और नय़ा सवेरा ले आये
""ऍक योजना ग़्यारह बार"" समझ चुकी हे पीढैया....
""जुर्म यहा कम केह्ते है "",लेकिन रोज जली है बेटइया(betiyan)
"जात पात"" के नाम पे हमने कितनी खायी गोलिया
ये झठ वादे ढह जाये कुछ ऍसी आन्धी ले आये..
आओ हम तुम साथ चले और नय़ा सवेरा ले आये
Divya Prakash Dubey